प्रिय - प्रियतमा बैठ रहे बतियाय
कारण - निवारण समझ न पायग्यारह नम्बर से थे फिटम फैट
कब - कैसे बन गए एट्टी एट
घर में भरा सब सरंजाम
भूल गए हम तो व्यायाम
स्विगी जोमैटो खूब मंगाया
दावत में भी माल उड़ाया
चेहरे की तो बढ़ी लुनाई
कटि सम हो गयी कलाई
कैसे सजूँ बता ओ सजना
मन मेरा हुआ अनमना
गोरी बैठी बोले टेढ़ा अंगना
करधनी बन गयी कंगना !
#निवी'
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 31 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंव्वाहहह..
जवाब देंहटाएंसादर..
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 01-04-2021 को चर्चा – 4,023 में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
वाह
जवाब देंहटाएंचेहरे की तो बढ़ी लुनाई
जवाब देंहटाएंकटि सम हो गयी कलाई
अच्छा हास्य ...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंअन्तर्राष्ट्रीय मूर्ख दिवस की बधाई हो।
बहुत ही बढ़िया ।
जवाब देंहटाएं