रविवार, 23 अगस्त 2020

गीत : सजा गया विरहन का सावन ...

 महक रहा है हलका - हलका ,

बालों में गूँथा जो गजरा ।  

देख रहा है छलका - छलका ,

नयनन में हँसता वो कजरा ।।


बोल रही है बहकी - बहकी ,

हिना हथेली में  मुस्काई ।

बिखर गई थी ढ़लके - ढ़लके ,

चुनरी माथे पर वो छाई ।।  


चूड़ी कंगन करते पागल ,

छनक - छनक कर गाते जाये । 

पाँवों में पहनी जो पायल ,

भरमाती उर को वो जाये ।। 


सजनी मचले बहकी - बहकी ,

घर आये परदेसी साजन । 

बिंदिया खिली चमकी - चमकी ,

सजा गया विरहन का सावन ।।   

 .... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

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