सोमवार, 17 अगस्त 2020

हाइकु ....

 हाइकु


मिट्टी का तन 

चक्रव्यूह सा चाक

फौलादी मन


डूबती शाम

उलझन में मन 

उर की घाम


टूटते वादे

बिखरती सी यादें

मूक इरादे


रूखी अलकें

नमकीन पलकें

कहाँ हो तुम 


खुले नयन

बुझा जीवन दीप 

मन अयन


चकित आँखें 

भरमाया सा मन 

बेबस तन


बिछड़ा साथी

राहें हैं अंधियारी 

बात हमारी

      .... निवेदिता श्रीवास्तव "निवी"

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