होली गीत
ए सखी आयो कन्हाई री ...
उड़त अबीर गुलाल
रंग भयो रतनार
पकड़ लयी कलाई री
ए सखी आयो कन्हाई री ....
बाजे झाल मृदंग
थिरक थिरक जाए अंग
झूम उठे अमराई री
ए सखी आयो कन्हाई री ...
भूल गए राग द्वेष
मिट चले सारे क्लेश
झूमे चंहु ओर पुरवाई री
ए सखी आयो कन्हाई री ...
चले प्रियतम संग
छलके मन मे रंग
चुनर लहर लहर उड़ जाई री
ए सखी आयो कन्हाई री ...
मन में छाए उमंग है
तन में बसे अनंग है
फागुन करे जबराई री
ए सखी आयो कन्हाई री ...
... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
सुप्रभात जी। बहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंहोलीकोत्सव के साथ
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की भी बधाई हो।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (09-03-2020) को महके है मन में फुहार! (चर्चा अंक 3635) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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होलीकोत्सव कीहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
खूबसूरत रचना... अभिवादन...
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