शुक्रवार, 20 मार्च 2020

जनता कर्फ्यू ....

जनता कर्फ्यू ....

कल से जनता कर्फ्यू के पक्ष - प्रतिपक्ष में बहुत सारी बातें सुन और पढ़ रही हूँ ...

बहुत सी बातों और उनके कहे जाने के तरीके से सर्वथा असहमत होते हुए भी मैं ख़ामोश ही रह गई । परन्तु इस पूरी चर्चा ( ? ) में जनता कर्फ्यू का विरोध भी पढ़ा और कम समय के लिये इसको लगाया जाना भी पढ़ा ,तब लगा कि हर समय की ख़ामोशी भी गलत है ।

जनता कर्फ्यू सिर्फ 7 बजे से 9 बजे तक घोषित है ,परन्तु थोड़ा सा भी विचार कीजियेगा तब आपको खुद ही समझ आ जायेगा कि यह शनिवार की रात लगभग 10 / 11 बजे ( सामान्यतः तब तक सभी अपने अपने घरों में वापस आ जाते हैं ) से ले कर सोमवार की सुबह लगभग 7 बजे तक ( सामान्यतः अधिकतर लोग अपने अपने कार्यक्षेत्र के लिए तभी घरों से निकलते हैं ) तब तक बिना कुछ कहे ही प्रभावी हो जाएगा । यदि इसीको बोलकर किया जाए तो दहशत के माहौल में और भी वृध्दि हो जाएगी ।

राजनीति से परे हो कर भी सोचें तो कल का प्रधानमंत्री मोदी जी का उदबोधन परिवार के मुखिया जैसा ही था ,जिसमें बिना किसी को दहशत में लाये समस्या से सभी परिवारी जनों को सुरक्षित रखना ही है ।

अभी सिर्फ विरोध के लिये विरोध करने की मानसिकता से ऊपर उठने और सब का साथ देने का समय है ।

सबका साथ दें ,सुरक्षित रहें और रखें .... क्योंकि विरोध करने के लिये दोनों का होना आवश्यक है आप का भी और जिसका आप विरोध करते हों उसका भी ।
                                   .... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

5 टिप्‍पणियां:

  1. सहमत हैं।
    सिर्फ़ विरोध करने के लिए सही गलत का ध्यान न रखना सिवाय मूर्खता के कुछ नहीं।

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  2. नासमझ और जड़बुद्धि वाले कब समझ पाएं हैं, उन पर तरस ही आ सकता है
    बहुत अच्छी सामयिक प्रस्तुति

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  3. लोग एक व्यक्ति के विरोध में अंधे होकर खुद अपना और अपनो का नुकसान करने पर आमादा है | इंसानियत बेहद कठिन दौर में है और ये सिर्फ और सिर्फ संयम रखने का समय है |

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