तमन्नाओं के गुंचे से गुले गुलशन सजाती हूँ
समझ सको समझ लेना ,प्रियतम प्यार करती हूँ
पाँव जो थक कहीं जाये ,मंज़िल छोड़ न देना
तुम मुड़ के देखना ,पलकन राह निरखती हूँ
बोली जो लगे रूखी ,मन मद्धम नहीं करना
पीछे मुड़ के देखना ,सदा देकर तुमको बुलाती हूँ
काँटे जो कहीं रोके डगर ,चोटिल नहीं होना
पीछे मुड़ के देखना , राह में पुष्प सजाती हूँ
कोई जो बात चुभती हो , भरे न ख़ार से आंगन
पीछे मुड़ के देखना , धड़कन सी धड़कती हूँ
अमावस से हों भरी राहे ,सजल ये मेरे नयन
पीछे मुड़ के देखना ,जुगनू बन के चलती हूँ
छलकती जा रही हो ,गगरी भरी जीवन की
पीछे मुड़ के देखना , "निवी" तुमको सुनती हूँ
.... निवेदिता श्रीवास्तव "निवी"
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