मंगलवार, 25 जून 2019

लघुकथा : प्यार या लगाव

लघुकथा : प्यार या लगाव

टहलते हुए थोड़ी सी थकान लगने लगी तब वहीं पार्क में पड़ी बेंच पर बैठ गयी । अचानक ही पास वाली बेंच पर बातें करती दो युवतियों पर ध्यान चला गया ।

"आजकल तुम बहुत परेशान और चुप चुप सी दिखती हो ,क्या हुआ है कुछ तो बताओ ।"

"नहीं यार ... ऐसा कुछ खास नहीं ।"

"अच्छी बात है पर अगर कभी मन उलझे तो ये जरूर याद रखना कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ ।"

थोड़ी देर की खामोशी के बाद आवाज आई ,"दरअसल मैं ये सोच रही हूँ कि प्यार और इंफैचुएशन में अंतर कैसे पता चलता है । हमें कैसे पता चलेगा कि ये एक पल का लगाव है उम्र भर साथ रहने वाला प्यार ।"

बड़ी शांत सी आवाज आई ,"इसकी कोई स्पष्ट व्याख्या तो नहीं की जा सकती ,पर इसके मूल में जो भाव है वो सिर्फ यही है कि लगाव किसी भी विरोधी परिस्थिति के सामने घुटने टेक आसान सा रास्ता खोजता है ,जबकि प्यार उसका सामना करने का साहस देता है ।"

"इसको और भी आसान शब्दों में कहूँ तो लगाव परिवार को छोड़ कर भागने की सोचेगा और कहीं न कहीं साथ छोड़ धोखा दे जाएगा जबकि प्यार अपने प्रिय के सम्मान बनाये रखने के लिए ढाल बन सदैव साथ देगा ।"
                                                                                                               - निवेदिता

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