सोमवार, 17 जून 2019

मुक्तक

1
कलियाँ भी खिल पड़ी चमेली में
यूँ बचपना हँस पड़ा अठखेली में
नींव नेह की बड़ी गहरी रखी थी
मीठी यादें बरस रही हवेली में

2
लम्हों के काँच चुभ रहे हथेली में
जीवन बीता जा रहा पहेली में
साँसों के दरम्याँ बड़ा है फ़ासला
यादें भी बरस रही चंगेली में  .... निवेदिता

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