सोमवार, 20 सितंबर 2021

जहाँ तेरा आशियाना है !

 तुझसे मिलने माँ !  

उस पार मुझे अब आना है , 

उस क्षितिज के पार  

जहाँ तेरा आशियाना है !  


अंगुली पकड़ चलना सिखलाया  

साध रखूँ कदमों को बतलाया  

सफर बीच हों कितने भी काँटे  

तेरा आशीष लगे हमसाया   

जीवन यात्रा में   

तेरी वीणा बन जाना है !  


पास नहीं पाती हूँ अब तुमको 

हर पल मैं खोज रही हूँ तुमको

थके - थके रहते नयना व्याकुल  

टेरते सदा रहते बस तुमको    

तेरी छाया बन  

चलते ही मुझको जाना है ! #निवी

   

5 टिप्‍पणियां:

  1. माँ का आशीर्वाद जीवन के साथ और बाद भी बना रहता है सदा अपने बच्चों पर
    मर्मस्पर्शी सामयिक रचना

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  2. माँ का आशीर्वाद तो हमेशा साथ रहता । उस छोर पर भी सबको जाना है ।
    माँ को नमन।

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  3. पास नहीं पाती हूँ अब तुमको

    हर पल मैं खोज रही हूँ तुमको

    थके - थके रहते नयना व्याकुल

    टेरते सदा रहते बस तुमको

    तेरी छाया बन

    चलते ही मुझको जाना है... मां के लिए सुंदर समर्पण भावपूर्ण रचना । समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है 🙏💐

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