शनिवार, 25 सितंबर 2021

ग़ज़ल : अदावत नहीं है ।

 दिलों को दुखाना  महारत नहीं है 

मेरी आज तक भी अदावत नहीं है ।


मुलाकात की बात हम भी क्यूँ करते 

यूँ मिलने मिलाने की आदत नहीं है ।


शिकायत करें हम कहाँ तुम से झूठी 

बड़ी खुद से कोई अदालत नहीं है ।


बग़ावत जमाने से हम करते कैसे

हसीनों की ये तो रवायत नहीं है ।


सियासत है करता दिलों से ज़माना

#निवी की भी किस्मत शहादत नहीं है । #निवी

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