मंगलवार, 12 मई 2020

लघुकथा : केंचुल


लघुकथा : केंचुल


  • कार्यक्रम की सफलता को उत्सवित करते बातों में व्यस्त सब का ध्यान अचानक से ही अन्विता की तरफ गया । वरिष्ठ अधिकारी के साथ आरामदेह सोफे पर बैठी ऑफ़िस मिनिट्स के बारे में बात करते - करते ,अचानक ही वहाँ से उठ कर कोने के स्टूल पर बैठने में  लड़खड़ा गयी थी ।

"क्या हुआ ... क्या हुआ ..." ,बोलते सब उसकी तरफ लपके ।

अन्विता धीरे से उठती हुई बोली ,"कुछ खास नहीं बस इंसान में बसे साँप की केंचुल उतरने का अनुभव कर लिया ।"
           .... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

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