ओ अधमुँदी सी पलकों
ढुलक भी जाओ
कि नींद आ जाये
नींद से सपनों का
कुछ तो नाता है
और ...
सपने ही तो देखने हैं
शायद ...
मुंदी पलकों तले के सपने
तुम्हारी झलक लायेंगे
और मैं जी उठूंगी ... निवेदिता
ढुलक भी जाओ
कि नींद आ जाये
नींद से सपनों का
कुछ तो नाता है
और ...
सपने ही तो देखने हैं
शायद ...
मुंदी पलकों तले के सपने
तुम्हारी झलक लायेंगे
और मैं जी उठूंगी ... निवेदिता
सपने ही तो ज़िन्दगी का सार भी हैं और आधार भी...
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