बुधवार, 18 सितंबर 2019

सपनें ....

ओ अधमुँदी सी पलकों
ढुलक भी जाओ
कि नींद आ जाये
नींद से सपनों का
कुछ तो नाता है
और ...
सपने ही तो देखने हैं
शायद ...
मुंदी पलकों तले के सपने
तुम्हारी झलक लायेंगे
और मैं जी उठूंगी ... निवेदिता

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