बुधवार, 3 अप्रैल 2019

पापा आप बहुत याद आये ....






शीर्षक : पापा आप बहुत याद आये

डगमगाते दृढ़ मना कदमों को
अनायस ही सप्रयास  बढ़ते देखा
आँखों से छलके आँसू
दिल ने भरी सिसकी
पापा आप बहुत याद आये

दरख़्त देखा जब बरगद का
आंधी में टूटी थी डाली
मौसम है फागुनी हवाओं का
चली धूल भरी आंधी
पापा आप बहुत याद आये

थामे थे कुछ जिन्दा लम्हे यादों ने
हाथों में भरी जब मिठास
नाम और रिश्तों की अजब ये दुनिया
छूटे कुछ बेजान से धागे
पापा आप बहुत याद आये

प्राणहीन शरीर नहीं डूबा करता
डूबा अक्सर ये गीला मन
जाते देखा जनाजा बुजुर्ग का
मन छनका काँच सा
पापा आप बहुत याद आये
                  .... निवेदिता

2 टिप्‍पणियां:



  1. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (6-04-2019) को " नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं " (चर्चा अंक-3297) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं