गुरुवार, 10 जनवरी 2019

लघुकथा : समस्या समाधान

लघुकथा : समस्या समाधान

छुटकू को गोद में दुबकायी कब से दुलरा रही थी ,पर पता नहीं किस बात से डरा अबोध मन सहज नहीं हो पा रहा था । अंत मे ये सोचकर कि कभी कभी अनदेखा करना भी समाधान ढूंढ लाता है ,मैं अपने काम समेटने लगी ... पर ये देख कि उसके हाथों से मेरा पल्लू छूट ही नहीं रहा था ,मैं काम करते करते उसको कहानियाँ सुनाने लगी ।

अचानक से वो चौंक कर बोला ,"माँ मुश्किलें बिल्ली ऐसे रास्ता रोके खड़ीं हो तो कैसे भगा सकते 🤔"

समस्या का कारण अब मैं समझ गयी थी 😊

मैंने उसको दुबारा से गोद में समेट लिया ,"बेटा हर समस्या का समाधान उस समस्या में ही छुपा रहता है ,हमको जरूरत सिर्फ उसको समझने और समाधान मिलने के अवसर पर ध्यान देने की है । अब जैसे बिजली चली जाने पर अचानक से अंधेरा हो जाता है न तब हमारे पास सिर्फ दो रास्ते रहते हैं ... पहला चुप बैठ कर डरते और गुस्सा कर बड़बड़ाते समय नष्ट कर देने का ,दूसरा थोड़ा सा समय खुद को देकर जब आँखें अंधेरे की थोड़ी अभ्यस्त हो जायें तब मोमबत्ती जला कर अंधेरा दूर करने का ।"

उससे बातें करते मैं छत की तरफ आ गयी थी ,"देखो जरा सा अपने को संतुलित कर लिया जाये न तो रास्ता रोकने वाली इस बिल्ली की तरह समस्याएं भी प्रतिरोध से थक जाती हैं फिर रास्ता छोड़ चली जाती हैं या फिर ऊब कर सोने लगती हैं और हम उस बगल के रास्ते से निकल सकते हैं ।"
              ..... निवेदिता

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (11-01-2019) को "विश्व हिन्दी दिवस" (चर्चा अंक-3213) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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