देनेवाला ऊपर बैठा
निहारता वारता
बहुत कुछ
देता ही रहता
तब भी बहुत कुछ
कसकता अनपाया सा
रह जाता
आज सोचती हूँ
माँग ही लूँ
शायद कहीं
लिखनेवाले ने
लिखा हो
जो तुम चाहो ... निवेदिता
निहारता वारता
बहुत कुछ
देता ही रहता
तब भी बहुत कुछ
कसकता अनपाया सा
रह जाता
आज सोचती हूँ
माँग ही लूँ
शायद कहीं
लिखनेवाले ने
लिखा हो
जो तुम चाहो ... निवेदिता
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 122वीं जयंती - नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (25-01-2019) को "जन-गण का हिन्दुस्तान नहीं" (चर्चा अंक-3227) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'