साल नया नया है आया
खुशियाँ भी अनगिन लाया।
चुन्नू मुन्नू ने खोली बाँहे
सज्ज हुई सबकी राहें।
नई रागिनी नया तूर्य
कोहरे से झाँके है सूर्य।
तीन सौ पैंसठ साल के दिन
सज्ज आशाएँ अनगिन।
असफलता कभी जो आयें
सद्प्रयास से उन्हें भगायें।
कोहरे के जब छाये बादल
ठण्ड से सब हुए हैं पागल।
चुन्नू मुन्नू जी ने छोड़ा बिस्तर
दादू ठण्ड पर चलाओ नश्तर।
#निवेदिता_श्रीवास्तव_निवी
#लखनऊ
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