स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म १२ जनवरी को कोलकाता में हुआ था। उनका पूरा नरेन्द्र नाथ विश्वनाथ दत्त था । उनके पिता का नाम श्री विश्वनाथ दत्त एवं माता का नाम श्रीमती भुवनेश्वरी देवी था। ये 9 भाई बहन थे। स्वामी विवेकानन्द जी को घर में सभी नरेंद्र पुकारते थे।अपने माता पिता की अच्छी परवरिश और संस्कारों के फलस्वरूप ही अपने जीवन में उच्च कोटी की सोच मिली।
१८८४ में उन्होंने कला विषय से ग्रेजुएशन की डिग्री ली और फिर उन्होंने वकालत की पढ़ाई की।स्वामी विवेकानंद जी की दर्शन, धर्म, इतिहास और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों में काफी रुचि थी इसी कारण वे इन विषयो को बहुत उत्साह के साथ पढ़ते थे यही वजह थी कि वे ग्रंथ और शास्त्रों के पूर्ण ज्ञाता भी थे।
स्वामी विवेकानंद जी ने रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरु मान लिया था और उन्हीं के बताए मार्ग पर चलते थे। राम कृष्ण परमहंस जी की मृत्यु के बाद विवेकानन्द जी ने वरहानगर में रामकृष्ण संघ की स्थापना की, बाद में जिसको 'राम कृष्ण मठ' का नाम दिया गया।
२५ साल की उम्र में ही उन्होंने सन्यासी धर्म स्वीकार कर के गेरुआ वस्त्र धारण कर लिया था और भारत की पैदल यात्रा पर निकल पड़े थे, जिसमें आगरा,अयोध्या, वाराणसी, वृंदावन, अलवर समेत कई जगहों पर गए। यात्रा के दौरान उन्हें जातिगत भेदभाव जैसी कुरीतियों का पता चला उन्होंने उन्हे मिटाने की कोशिश भी की।
४ जुलाई, १९०२ को ३९ वर्ष की उम्र में ही स्वामी विवेकानंद जी ने महा-समाधि ली थी।
ऐसी महान विभूति को श्रध्दा सुमन अर्पित करती हूँ 🙏
निवेदिता श्रीवास्तव निवी
लखनऊ
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