बुधवार, 4 जनवरी 2023

आदरणीय गोपालदास नीरज जी जन्मदिन मुबारक !!!

 हिंदी साहित्य के जाने माने कवि गोपाल दास नीरज जी का जन्म ४ जनवरी १९२५ को हुआ था।

आपने हिन्दी साहित्य से एम०ए० किया और मेरठ कॉलेज, मेरठ में हिन्दी प्रवक्ता के पद पर कुछ समय तक अध्यापन कार्य भी किया। कुछ समय पश्चात नीरज जी ने उस स्थान को छोड़ दिया और अलीगढ़ के धर्म समाज कॉलेज में हिन्दी विभाग के प्राध्यापक बन गये।

कवि सम्मेलनों में अपार लोकप्रियता मिलने के बाद फिल्म जगत में गीत लिखने का निमन्त्रण मिला और पहली ही फ़िल्म में उनके लिखे कुछ गीत जैसे 'कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे' और 'देखती ही रहो आज दर्पण न तुम, प्यार का यह मुहूरत निकल जायेगा' बेहद लोकप्रिय हुए और वे बम्बई में रहकर फ़िल्मों के लिये गीत लिखने लगे। फिल्मों में गीत लेखन का सिलसिला कई वर्षों तक जारी रहा।

आपकी लेखन शैली भी अद्भुत थी । कहीं एकदम सीधे-सादे ढंग से अपनी बात कह दी परन्तु माधुर्य भाव कभी कम नहीं लगा, तो कहीं शब्दों द्वारा चित्र ही उकेर दिया।
आप के सृजन में जीवन के निटकतम प्रतीक बहुत ही सहजता से मुखर हो उठे।

नीरज जी की कई कृतियाँ प्रकाशित कृतियाँ हुई हैं।संघर्ष आपकी पहली प्रकाशित कृति है। कारवाँ गुजर गया , फिर दीप जलेगा, तुम्हारे लिये, नीरज की गीतिकाएँ मेरी पसन्दीदा कृतियाँ हैं।

नीरज जी को पद्म श्री सम्मान, यश भारती, पद्म भूषण इत्यादि कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए हैं। फ़िल्म जगत में भी सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये लगातार तीन बार यह पुरस्कार दिया गया।

ऐसी सशक्त एवं कोमलमना लेखनी से समृद्ध, आदरणीय गोपालदास नीरज जी को, उनके जन्मदिवस पर बहुत आदर से नमन करती हूँ 🙏
निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
लखनऊ

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें