बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

बदलती चाहत ....

 सुनो साथी !

फूल लाने जा रहे हो न 

हतप्रभ मत होना   

पर सुन जरूर लेना

फूल गुलाब के नहीं 

सिर्फ हरसिंगार के ही लाना 

और चुन - चुन कर लाना ! 


हाँ ! बहुत पसन्द है मुझे 

रंग बिरंगे फूल गुलाब के

उस की हर पत्ती में

दम भरती ,झाँकती

सपनीली सुगन्ध

कोमल एहसासों जैसे उसके रंग

पर तुम लाना हरसिंगार

हतप्रभ मत हो जाओ

पूछ ही लो कारण !


जानना चाहते हो कारण

इस बदलती पसन्द का

तो सुनो साथी !

ये जो काँटे हैं न गुलाब के 

चुभन दे सकते हैं 

तुम्हारी इन नम्र नाजुक

सहलाती दुलराती हथेलियों को ।


और भी एक कारण है

बदलती चाहत का 

पास आओ तो बताऊँ 

हरसिंगार लाने को 

जब चुनोगे एक - एक फूल को 

हर उठाते फूल में 

याद करोगे मुझको 

और समझ भी लोगे कि 

फूल उठाने और चुनने दोनों के लिये ही 

झुकना ही पड़ता है 

और तुम सीख लोगे झुकना !

        ... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

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