मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

काश_अब_भी_तुम_साथ_मेरे_होते !

 #काश_अब_भी_तुम_साथ_मेरे_होते !


तप्त हुआ मरुथल है जलता 

रुक्ष हुआ इक सागर है बहता  

क्या बात करूँ उन बातों की 

जिनमें तेरा हर अक्स है सजता !


यादों की बूँदे ओस सी हैं सजती 

बिनमौसम बरखा सी अँखियाँ हैं बहती 

एक बार ठिठक के देखा तो होता

ये विरहन तेरा पथ है निरखती !


चाहत की क्या मुक्तामाल बनाऊँ

रंग अरु दियों से कैसे घर सजाऊँ

हर साँस अटक कर कहती है

पीड़ा अंतर्मन की कैसे भुलाऊँ !


कुछ मैं कहती कुछ तुम कहते

राह के काँटे हम - तुम चुनते

जीना इतना न दुष्कर होता

काश अब भी तुम साथ मेरे होते !

     ... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

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