लघुकथा : उम्र
कब से बैठी शून्य में ही टकटकी लगाए बैठी थीं वो । हर पल खिलती खिलखिलाती बातों की फुहार सी हर कहीं बरसने वाली बदली धुंध बनती जा रही हो जैसे ।
नन्हा गोलू गेंद खोजता हुआ उधर आ गया और उनको देख बोल पड़ा ,"दादी चलो न रेस लगाते हैं ,वैसे भी मेरी गेंद मिल ही नहीं रही ।"
"नहीं बेटा ,अब मैं रेस नहीं लगा पाऊँगी । दर्द बहुत हो रहा है ।"
"कहाँ दर्द है दादी ? चलो डॉक्टर के पास चलते हैं ।"
"नहीं गोलू ,अब मैं ठीक नहीं हो पाऊँगी । मेरे डॉक्टर को भगवान ने अपने पास बुला लिया है न । अब मैं बूढ़ी हो गयी हूँ ",कहती हुई वह एक हाथ घुटनों पर और दूसरा पीठ पर रख कर उठने का प्रयास करने लगीं ।
"दादी अभी जब हम घर से आये तब तक आप मुझसे रेस लगाती आयी हैं ,अचानक क्या हो गया ? अरे हाँ आप फ़ोन पर किससे बात कर रही थीं ।"
"बेटा वो मेरे छोटे भाई का फ़ोन था ,वो मेरी माँ .... " छलक आयी पलकों की नमी को सुखाती बोल पड़ी ,"बेटा अब तो मैं बड़ी हो गयी हूँ ।"
... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
कब से बैठी शून्य में ही टकटकी लगाए बैठी थीं वो । हर पल खिलती खिलखिलाती बातों की फुहार सी हर कहीं बरसने वाली बदली धुंध बनती जा रही हो जैसे ।
नन्हा गोलू गेंद खोजता हुआ उधर आ गया और उनको देख बोल पड़ा ,"दादी चलो न रेस लगाते हैं ,वैसे भी मेरी गेंद मिल ही नहीं रही ।"
"नहीं बेटा ,अब मैं रेस नहीं लगा पाऊँगी । दर्द बहुत हो रहा है ।"
"कहाँ दर्द है दादी ? चलो डॉक्टर के पास चलते हैं ।"
"नहीं गोलू ,अब मैं ठीक नहीं हो पाऊँगी । मेरे डॉक्टर को भगवान ने अपने पास बुला लिया है न । अब मैं बूढ़ी हो गयी हूँ ",कहती हुई वह एक हाथ घुटनों पर और दूसरा पीठ पर रख कर उठने का प्रयास करने लगीं ।
"दादी अभी जब हम घर से आये तब तक आप मुझसे रेस लगाती आयी हैं ,अचानक क्या हो गया ? अरे हाँ आप फ़ोन पर किससे बात कर रही थीं ।"
"बेटा वो मेरे छोटे भाई का फ़ोन था ,वो मेरी माँ .... " छलक आयी पलकों की नमी को सुखाती बोल पड़ी ,"बेटा अब तो मैं बड़ी हो गयी हूँ ।"
... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
सुंदर लघुकथा |
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