दोहे
1
बदरा बरस बरस गये ,मन क्यों भया उदास
चलने की बेला सखी ,देव मिलन की आस
2
खोल मन की खिड़कियाँ ,हँस रहा अमलतास
वासनायें उड़ा चली ,ले ले तू कल्पवास
3
चमके चपला दामिनी ,मन में हुआ उजास
मोती बन बादल झरे ,क्यों करे अविश्वास
4
जीवन डगर लगे कठिन ,न कर कभी उपहास
सम्हल कर तू कदम रख , समय करे परिहास
निवेदिता
1
बदरा बरस बरस गये ,मन क्यों भया उदास
चलने की बेला सखी ,देव मिलन की आस
2
खोल मन की खिड़कियाँ ,हँस रहा अमलतास
वासनायें उड़ा चली ,ले ले तू कल्पवास
3
चमके चपला दामिनी ,मन में हुआ उजास
मोती बन बादल झरे ,क्यों करे अविश्वास
4
जीवन डगर लगे कठिन ,न कर कभी उपहास
सम्हल कर तू कदम रख , समय करे परिहास
निवेदिता
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
04/08/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
बहुत सुन्दर दोहे
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