शनिवार, 4 मई 2019

दर्द और मैं

अक्सर दर्द और मैं
दोनों ही देखते हैं
यूँ ही एक दूसरे को
अक्सर ही हम हँस पड़ते हैं

साथ न तुम छोड़ते न ही मैं
सच बड़ा अजीब सा है ये नाता
दर्द भरी हँसी का
या हँसते हुए दर्द का

तुम को बसेरा दिया दिल में
मैं तो बस हँसी बिखेरती
छुपाये रखती हूँ इस जहाँ से
और जानते हो सब कहते है
आपकी हँसी सच बहुत हसीन है .... निवेदिता

4 टिप्‍पणियां:

  1. अक्सर दर्द और मैं
    दोनों ही देखते हैं
    यूँ ही एक दूसरे को देखकर
    अक्सर ही हम हँस पड़ते हैं...
    हँस देना जरूरी है दर्द सहने के लिए !

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  2. साथ न तुम छोड़ते न ही मैं
    सच बड़ा अजीब सा है ये नाता
    दर्द भरी हँसी का
    या हँसते हुए दर्द का

    सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  3. दर्द तो जिंदगी अपने आप देती ही रहती है, तो बेहतर है हँसते हुए हर दर्द को धता बता दिया जाए...।

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