धरा को चूमा ,दिलों में बस गए
साँसें थम गयीं ,यादों में बस गए
दिल के इंद्रधनुष ,आसमान में रच गए
तिरंगे के रंग में ,लहू अपना रच गए
पिता के सहारे ,बच्चों की याद बन गए
माँ की आस थे ,देश का विश्वास बन गए
चूड़ी की खनक से ,पायल झनका गए
माँग से सिंदूर उड़ा ,चाँद में चमक गए
यात्रा शेष थी ,तुम अनन्त को चले गए
जयचन्द की करनी ,तुम यूँ भुगत गए .... निवेदिता
साँसें थम गयीं ,यादों में बस गए
दिल के इंद्रधनुष ,आसमान में रच गए
तिरंगे के रंग में ,लहू अपना रच गए
पिता के सहारे ,बच्चों की याद बन गए
माँ की आस थे ,देश का विश्वास बन गए
चूड़ी की खनक से ,पायल झनका गए
माँग से सिंदूर उड़ा ,चाँद में चमक गए
यात्रा शेष थी ,तुम अनन्त को चले गए
जयचन्द की करनी ,तुम यूँ भुगत गए .... निवेदिता
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