सखी सुनो न ,एक बात बतानी है
बात में न तो राजा है न रानी है
ये जो घुटनों पर रख हाथ उठती है
बहती इनमें भी स्फूर्ति की रवानी है
बन्द धड़कन की,ओढ़ ध्वज रवानी है
आँखों में कैद लहू है ,न समझ पानी है
आँखों की चमक चेहरे की चांदनी है
हर तरफ अब उम्मीद की गंगा बहानी है .... निवेदिता
बात में न तो राजा है न रानी है
ये जो घुटनों पर रख हाथ उठती है
बहती इनमें भी स्फूर्ति की रवानी है
बन्द धड़कन की,ओढ़ ध्वज रवानी है
आँखों में कैद लहू है ,न समझ पानी है
आँखों की चमक चेहरे की चांदनी है
हर तरफ अब उम्मीद की गंगा बहानी है .... निवेदिता
वाह !! बहुत ख़ूब सखी
जवाब देंहटाएंसादर