गुरुवार, 17 अगस्त 2023

चन्द हाइकु

 हाइकु


मिट्टी का तन 

चक्रव्यूह सा चाक

फौलादी मन।


डूबती शाम

उलझन में मन 

उर की घाम।


टूटते वादे

बिखरती सी यादें

मूक इरादे।


रूखी अलकें

नमकीन पलकें

कहाँ हो तुम। 


खुले नयन

बुझा जीवन दीप 

मन अयन।


चकित आँखें 

भरमाया सा मन 

बेबस तन।


बिछड़ा साथी

राहें हैं अंधियारी 

बात हमारी।

निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

लखनऊ

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