सूखे आँसुओं की तासीर
आँखों से मन तक
बहती चली जाती हैं
सूखी तो आँखें रहती
मन उलझता जाता है !
यादों के ...वादों के ....
बादल घिरते तो बहुत हैं
बिन बरसे तरस कर
भरे-भरे चले जातें हैं !
वो रेत सरीखी
छोटी-छोटी बातें
पहाड़ सी भारी हो
मन में बसी रह कर
जीना दुश्वार कर जाती !
गलत न वो बातें हैं
न ही यादें .... और
न वो रूखी-सूखी आँखें
गलत है सिर्फ मन का
बंजारा न हो पाना ! #निवी
बहुत सुंदर
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