रविवार, 6 अगस्त 2023

सूखे आँसुओं की तासीर !

 सूखे आँसुओं की तासीर 

आँखों से मन तक 

बहती चली जाती हैं 

सूखी तो आँखें रहती 

मन उलझता जाता है !


यादों के ...वादों के ....

बादल घिरते तो बहुत हैं

बिन बरसे तरस कर 

भरे-भरे चले जातें हैं !


वो रेत सरीखी 

छोटी-छोटी बातें 

पहाड़ सी भारी हो

मन में बसी रह  कर

जीना दुश्वार कर जाती !


गलत न वो बातें हैं

न ही यादें .... और 

न वो रूखी-सूखी आँखें

गलत है सिर्फ मन का 

बंजारा न हो पाना ! #निवी

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