सोमवार, 6 मार्च 2023

पिया आए ... (होली लोकगीत)


वन वन खोजूँ, मैं रसिया बाग रे

पिया आए तो गाऊँ मैं फाग रे 

पिया आए तो गाऊँ मैं फाग रे!


अलबेली लगती तेरी नगरिया 

करमन की तो उलझी डगरिया

आशा की थामे इक गठरी 

भटक रही है एक गुजरिया

रच रच गाये मन के राग रे!

आये पिया ...


बरसे बदरिया जिया डर जाये

पवन झकोरा अँचरा उड़ाये

रात अँधेरी राह है धुँधली

सखी दियना जगाया बड़े अनुराग रे

मेरी किस्मत में लग न जाये दाग रे!

पिया आए ...


महावर की जो बेल बनाई

हाथन में मेहंदी है रचाई

सिमटी सकुचि जाए नथनिया

ईंगुर से भर लिया माँग रे

जागा जागा रे हमरा सुहाग रे!

पिया आए ...

निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

लखनऊ

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