शुक्रवार, 11 मार्च 2022

क्षणिकाएं

क्षणिका 


नहीं देखना चाहती तुमको

रूह भी तड़पी है 

तेरी बेवफ़ाई पर

माफ़ कर दिया तुमको

हाँ! इश्क़ किया है तुमसे !


***

चाहतें बेपनाह 

यादें बेलग़ाम

इश्क़ लापरवाह !

***

चाहतें सुरसा सी

लपट सी धधक रही 

कफ़न के बाद भी 

चाहत लकड़ी की

या दो गज़ ज़मीं!


***

रिसती साँसों की

सुराखों भरी 

फ़टी जेब सी ज़िन्दगी

वक़्त किसका हुआ!

  ... निवेदिता #निवी 

        #लखनऊ

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