गुरुवार, 20 मई 2021

लघुकथा : वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग


शीर्षक : #वीडियो_कॉन्फ्रेंसिंग


एक जोड़ी लब बेहद ख़ामोशी से ,नम होती और नजरें चुराती पलकों को देख रहे थे । परेशान हो कर उन्होंने दिमाग को वीडियो कॉल कर ही दिया कि एक पंथ दो काम हो जाएंगे पलकों की समस्या का पता भी चल जाएगा और विचारों और वाणी (लबों) की जुगलबंदी भी फिर से सध जाएगी । सच्ची आजकल दिमाग से ज्यादा दिल से उसका बंधन सात जन्मों वाला लगने लगा है और ये मुआ दिल न धड़कन की रफ़्तार कम ज्यादा कर के डराता ही रहता है । 


वीडियो कॉल में स्वस्थ और संतुलित दिमाग को देख लबों ने सुकून की साँस भरी । एक दूसरे की कुशल - क्षेम पूछते ही उसने नमी से बोझिल होती पलकों का ज़िक्र किया और उसको भी कॉल में ऐड कर लिया ।


लब ,दिमाग और पलकों की मूक भाषा वाचाल हो चली थी । नमी का कारण पूछने पर पलकें बोल उठीं ,"हमारे चेहरे की ज़मीन पर दाढ़ी ,मूंछों और भौंहों के बाल इतने बढ़ते जा रहे हैं कि मेरी तरफ़ किसी की निगाहें ही नहीं पड़तीं । पहले सब अच्छा- ख़ासा वैक्सिंग और थ्रेडिंग से अपने दायरों में रहते थे ,अब लॉक डाउन में पार्लर बन्द होने से ,इंसानों के मन की तरह इन सबने भी अपने - अपने जंगल बना लिए हैं । मेरी तो कोई वक़त ही नहीं रही ।"


माहौल में छाए हुए भारीपन को दिमाग की खनकती हुई आवाज़ ने तोड़ा ,"परेशान मत होओ ,वक़त असली की होती है न कि समय - समय पर उगी खर - पतवार की । अब देखो न सभी विचारों ,भावनाओं और रिश्तों में भी पॉजिटिव होना चाहते हैं न परन्तु इस कोरोना पॉजिटिव होने से डरते हैं ... इसको भगाना चाहते हैं । जैसे ही पार्लर खुलेंगे ये बढ़ी हुई दाढ़ी - मूँछें गायब हो जाएंगे और सब गुनगुना उठेंगे ... मेरा जीना मेरा मरना इन्हीं पलकों के तले !"


लब भी खिलखिला उठे ,"सच यार तुमने तो प्रमाणित कर दिया कि दिमाग होता क्या है ! "


पलकों की नमी में भी उम्मीदों और दुआओं की पॉजिटिविटी चमकने लगी ।

     #निवी

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