शुक्रवार, 14 मई 2021

गीत : आशा के जुगनू

 आशा के जुगनू बने ये नयन हैं

खोजे कहाँ छुप गए उसके मयन हैं !

विरह में जलाती यही वो अगन है
तारों भरा आँचल ओढ़े गगन है
दमकती है चपला सिहरन सी मन की
बहकती ही जाए सजनी सजन की
बनाये गलीचा वो सहस्त्र नयन है
आशा के जुगनू ...

बिजुरी सा दमकता टीका अनोखा
चाँद सी चमकती नथ ने है रोका
छनकती जाए लजीली ये पायल
मदन बाण ने किया है मुझे घायल
आ जाओ तो कर लूँ बातें अयन की
आशा के जुगनू ...

मन से तन तक यही रंग है छाया
सिमट कर चुनरिया में मन हर्षाया
बहकती बदली ,किरण बन तुम छाओ
महकते रंगो ,इंद्रधनुष खिलाओ
बन जाऊँ शय्या अपने मिलन की
आशा के जुगनू ...

निवेदिता श्रीवास्तव '#निवी'

अयन : साथ चलना
मयन : कामदेव

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