शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2020

ज़िंदगी



ज़िन्दगी तू इतनी ग़मज़दा सी क्यों है ,

आ ये चुराये लम्हात तुझ पर वार दूँ ।


तबस्सुम जो सजे तेरे मासूम लबों पर ,

चुभते वक़्त पे यादों का मरहम लगा दूँ ।


तेरे साथ की फाकाकशी करते ये लम्हे ,

दिलकश सितारों से तुझ को सजा दूँ ।


वो आफ़ताब आग बरसाता है हर सू ,

आ अपने इस हसीं महताब से मिला दूँ ।


मेरे ख़यालों की भटकती रूह सी 'निवी' ,

आ तेरे ख़्वाबों की ख्वाहिशों से मिला दूँ ।

            ... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

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