बुधवार, 22 जनवरी 2020

जो तुम चाहो ....

जो तुम चाहो

देनेवाला ऊपर बैठा
निहारता वारता
बहुत कुछ
देता ही रहता
तब भी रह ही जाता
बहुत कुछ कसकता
अनपाया सा

आज सोचती हूँ
माँग ही लूँ
उस परम सत्ता से
शायद कहीं
लिखनेवाले ने
लिखा हो
जो तुम चाहो ... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

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