बुधवार, 31 जुलाई 2019

सावन गीत

सावन गीत

रिमझिम बरस रहा सावन
मन जा पहुँचा मैके का आँगन

अल्हड़ सखियों की टोलियाँ
सब चुन लाती थीं कलियाँ
झूला झुलाये अमुआ की डालियाँ
वो बचपन की गलियाँ
तब जीवन था बस क्रीड़ावन
रिमझिम बरस रहा सावन ...

चुन चुन लाते मेहंदी की पत्तियाँ
खिल जाती थीं सब हथेलियाँ
बहना की पियरी ,भाभी की चुनरी
सुहागन मन थिरकता सुहावन
झूमती गाती कजरी मनभावन
रिमझिम बरस रहा सावन ....

स्नेहिल कलाई पर राखी सजाई थी
शगुन के लिये ठिठोली मचाई थी
कच्चे सूत की मजबूत डोरी पावन
भइया तुमसे करवाई कितनी मनावन
नयना बरस करते जल प्लावन
रिमझिम बरस रहा सावन ....

जब तन बदला तब मन बदला
कुछ मैं सकुचाई कुछ वो मचला
बिखरी अलकें झुकी सी पलकें
हरसिंगार सजता नित नई सजावन
कान्हा संग रास रचाने पहुँचा निधिवन
रिमझिम बरस रहा सावन ....
                            .... निवेदिता

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