शनिवार, 29 जून 2013

इखरे - बिखरे - निखरे आखर ( २ )


मासूम से लम्हों को ,लगता है छोटे - छोटे नगण्य से जीवों पर भी दुलार आ ही जाता है । 

वो नन्ही फ़ाख्ता सबकी कुशल चाहते - चाहते बस यूँ ही अपने शीश पर विस्तार पाये नभ की विशालता को भी एक निगाह निहार लेती थी । उन निहारते हुए नामालूम से लम्हों में ही यदाकदा , शायद , उसकी निगाहों में आ बसी निश्छलता को दूर कहीं सबसे छुप कर बैठा ऊपर वाला भी अपनी कसौटी पर कसता रहता था । जब भी उसके दिल को फ़ाख्ता का कोई नन्हा सा मासूम लम्हा भा जाता था , वो उस नन्हे नगण्य से पंछी पर अपनी इन्द्रधनुषी छटा बरसा देता था और उस की अपने में मगन फुदकन , बेशक कुछ लम्हों को ही पर सबका आकर्षण का केंद्र बन ही जाती थी !!!

आज लगता है , उसके पंजों में कभीकभार चुभने वाले तिनके , हाँ ! तिनके ही लग रहे हैं अब काँटे जैसे तो एकदम नहीं , जैसे ईश्वर द्वारा किया जा रहा कोई परीक्षण रहता होगा । ये भी हो सकता है एकदम विपरीत लगती सी परिस्थितियों में भी उस के मन की अडोल निश्छलता को ईर्ष्यालु होने का , रपटीली पगडंडियों को स्वीकारने अथवा नकारने की सहज मानवीय पलों की कसौटियों पर कसता वो सर्वश्रष्ठ स्वर्णकार का अबूझा सा कारनामा हो !!!

उस ऊपरवाले को मन की शुचिता का ही ध्यान रहता है ,शायद इसीलिये वो नन्ही सी खुली हुई चोंच में अपनी सारी मिठास पूरित करने के अवसर देते हैं और आप्लावित भी कर देते हैं । बस वो भी ,ये देखते अवश्य हैं कि ये छोटापन  उसके वाह्य आकार का ही है न कि उसके मन का !!!
                                                                                         - निवेदिता 

13 टिप्‍पणियां:

  1. सुबह-सुबह कविता पढ़कर आनन्दित हुये।

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  2. प्रकृति ने उन प्रेमपूरित पलों को पूर्ण आशीर्वाद दे रखा है। साथ ही दे रखा है, अनुपम सौन्दर्य की छिटकन।

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  3. शनिवार का दिन है, और आज हमारी पोएटिक मोर्निंग हुई है, अच्छी अच्छी चीज़ें पढने को मिल रही हैं...
    loved it!

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  4. छोटापन बाह्य आकर में है मन में नहीं ...
    वाह वाह !

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  5. सुंदर मन के बहुत सुंदर भाव ....
    बहुत अच्छी लगी आपकी रचना निवेदिता जी ....
    संग्रहणीय है .....
    शुभकामनायें ....

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  6. सच में निखरे आखर ..और चित्र भी बहुत मनमोहक है.

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  7. प्रकृति का सौन्दर्य भी अनूठा है.

    सुंदर प्रस्तुति.

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  8. बहुत मनभावन प्रस्तुति...

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  9. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
    कभी यहाँ भी पधारें

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