गुरुवार, 1 नवंबर 2012

रिश्ता एक चुटकी का ,सम्बन्ध जन्म जन्मान्तर का .....



जब भी किसी रिश्ते अथवा बंधन की बातें होती हैं ,उसमें कई बड़े - छोटे कारण और कारण दीखते हैं और बन भी जाते हैं | कुछ  रिश्ते जन्म से मिलते हैं ,तो कुछ विवाहोपरांत बनते हैं | विवाह के बाद  बनने वाले रिश्तों के बारे में जब भी सोचती हूँ तो उसकी  आत्मा  सिर्फ एक चुटकी होती है , जो अपने धर्म के अनुसार कभी अंगूठी पहना देती है ,तो कभी सिन्दूर से मांग सजा देती है ! एक पल में ही सर्वथा अनजाने व्यक्ति अटूट डोर में बँध जाते हैं | ये बंधन भी अजीब सा है कभी - कभी विचारों में भिन्नता होने पर और एकमत न होने पर भी उसी बात पर किसी अन्य के कुछ कहने पर अभेद्य कवच बन औरों के लिए बहुत तीखा प्रतिउत्तर भी बन जाता है |

कभी - कभी लगता है कि एक चुटकी सिन्दूर पड़ते ही ,जिसके लिए ये जन्म ही नहीं अनदेखे कई जन्म भी न्योछावर हो जाते हैं , उसीके लिए  पूरे वर्ष  में सिर्फ  एक  दिन ही  क्यों पूजन करते हैं अथवा व्रत रखते हैं ! इसका  कारण  मुझे  तो यही लगता है कि जिसका हमारे मन - प्राण पर पूर्ण अधिकार रहता है उसके चिन्ह को भी तो हम अपनी मांग की एक पतली सी रेखा में ही स्थान देते हैं | वैसे  ये   अलग  बात  है  कि उस सम्बन्ध को हम माथे पर अर्थात अपने  अस्तित्व  में सबसे अग्रासन देते हैं ! ये अग्रासन किसी दबाव में नहीं , अपितु स्नेहवश ही देते हैं | इस नन्ही  सी  एक  चुटकी की तरह ही अपने इस प्यारे से सम्बन्ध के लिए पूरे वर्ष में एक दिन "करवा - चौथ " पर विशेष कामना करते हैं !

अपने  अन्य  दायित्वों  के  सामने अगर हमको  किसीको अनदेखा करना पड़ता है , तो  हम  एक  पल की भी देर किये बिना ,अपने साथी को ही अनदेखा करते हैं ! शायद ये  अजीब  लगे पर  सच यही है कि दोनों के मन - प्राण  इतने एकमय  हो जाते हैं कि लगता है जैसे हमने  साथी  की नहीं अपितु स्वयं की ही अनदेखी की है | 

आज हर बात को हम तर्कों के आधार पर विश्लेषित करतें हैं | ये  मानने  में  मुझे तनिक भी हिचक नही  है  कि  किसी  भी प्रकार  के व्रत से किसी की उम्र अथवा आयु  पर कोई  प्रभाव नहीं पड़ता है , तब  भी  किसी  अपने  के  लिए  अपनी  सामर्थ्य  के  अनुसार  मंगलकामना  करना  तो  गलत  नहीं हो सकता | जब भी कोइ सुकृत्य अथवा धार्मिक कृत्य करते हैं तो एक सकारात्मक ऊर्जा तो परिवेश में प्रवाहमान हो जाती है | ये सकारात्मकता जीवन को कई नये रंग दे जाती है |

हमारे  हिन्दुस्तानी " वैलेंटाइन डे " अर्थात  एक  चुटकी   सिन्दूर  से  बने जन्म - जन्मान्तर के रिश्ते की मंगलकामना के बहुत प्यारे से रूप "करवा - चौथ" को  उत्स्वित करने वाले साथियों को इस पर्व की बहुत - बहुत बधाई और जो अभी प्रतीक्षारत हो कतार में हैं उनको शुभकामनाएं  :)
                                                                                        -निवेदिता 

24 टिप्‍पणियां:

  1. सच है. इस त्यौहार का बेशक कोई लॉजिक मुझे भी समझ नहीं आता.पर एक प्यारा सा उत्सव समझ ही इसे मनाती हूँ.और सच पूछो तो साल में एक बार साड़ी पहनने का बहाना :):).

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. कोई भी त्यौहार मनाना हो तो तो उसको तर्कों के आधार पर नहीं बस खुश होने और अपनी दैनिक दिनचर्या से अलग हटने के लिए मनाना चाहिए ....सस्नेह :)

      हटाएं
    2. @शिखा जी
      साल भर मे साड़ी पहनने के और भी बहाने मिल सकते है ... बस मौके पर चौका लगाने के लिए तैयार रहिए !

      हटाएं
  2. सुंदर लेख ...

    .शायद ये अजीब लगे पर सच यही है कि दोनों के मन - प्राण इतने एकमय हो जाते हैं कि लगता है जैसे हमने साथी की नहीं अपितु स्वयं की ही अनदेखी की है |

    बिलकुल सही कहा है .... करवाचौथ की शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  3. ये उत्सव ही जीवन में प्रेम के रंग सजाये रहते हैं | शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  4. सभी को शुभकामनायें, वैवाहिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में महत योगदान है इस दिन का।

    जवाब देंहटाएं
  5. जिससे खुशी मिलती हो वो काम कना चाहिए ..
    जिससे कष्‍ट हो वो नहीं ..
    करवा चौथ की शुभकामनाएं ..

    जवाब देंहटाएं
  6. 'एक चुटकी सिंदूर की कीमत ...' वाला संवाद याद करवा दिया आपने तो ... ;-)

    करवा का व्रत और एक विनती - ब्लॉग बुलेटिन पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप को करवा चौथ की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  7. करवाचौथ की हार्दिक मंगलकामनाओं के साथ आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (03-11-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!

    जवाब देंहटाएं
  8. सच है.....मन को खुशी मिलती है सो व्रत करते हैं....
    और एक मन नहीं दो दो दिल खुश होते हैं :-)
    करवाचौथ की शुभकामनाएँ...
    सस्नेह
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  9. मन करवा चौथ हुआ पढ़ते पढ़ते ,

    भारत एक उत्सव प्रधान देश है -

    मंगल गाओ चौक पुराओ री माई ,रंग महल में ,आज तो बधाई गाओ ,रंग महल

    में .

    पति पत्नी जीवन नाव के खेवन हार हैं दोनों खेवें पल पल ,भोगें सुख हर पल .

    बधाई करवा चौथ री बहना ब्लॉग महल में .

    जवाब देंहटाएं
  10. मन करवा चौथ हुआ पढ़ते पढ़ते ,

    भारत एक उत्सव प्रधान देश है -

    मंगल गाओ चौक पुराओ री माई ,रंग महल में ,आज तो बधाई गाओ ,रंग महल

    में .

    पति पत्नी जीवन नाव के खेवन हार हैं दोनों खेवें पल पल ,भोगें सुख हर पल .

    बधाई करवा चौथ री बहना ब्लॉग महल में .

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुंदर
    क्या कहने
    करवाचौथ की शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत अच्छी पोस्ट ..शिखा जी के विचारों से सहमत हूँ

    जवाब देंहटाएं
  13. behad sundar prastuti, कभी - कभी लगता है कि एक चुटकी सिन्दूर पड़ते ही ,जिसके लिए ये जन्म ही नहीं अनदेखे कई जन्म भी न्योछावर हो जाते हैं , उसीके लिए पूरे वर्ष में सिर्फ एक दिन ही क्यों पूजन करते हैं अथवा व्रत रखते हैं ! इसका कारण मुझे तो यही लगता है कि जिसका हमारे मन - प्राण पर पूर्ण अधिकार रहता है उसके चिन्ह को भी तो हम अपनी मांग की एक पतली सी रेखा में ही स्थान देते हैं |....................

    जवाब देंहटाएं