मंगलवार, 4 सितंबर 2012

आज ........ कल ........

मेरी यादों में 
मेरे वादों में 
मेरे इरादों में 
किलकता 
मेरा जो "हास" है 

पलकें थकने पर 
श्वासें अटकने पर 
सब के सब्र की
इति होने पर 
हाँ बस यही कल 
मेरा "इतिहास" है !!!
            - निवेदिता 


16 टिप्‍पणियां:

  1. ओह ओह ...क्या बयानगी है चंद ही पंक्तियों में..

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  2. इतिहास की प्रस्तुति सुन्दर है ,बधाई मंजुल भटनागर

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  3. बस छोटा सा जीवन, छोटी आशायें, छोटी आशायें..

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  4. बहुत सुन्दर भाव लिए
    बेहतरीन रचना...
    :-)

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  5. आप गज़ब करती हो ., गागर में सागर भरती हो

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  6. वाह जी क्या बात है बहुत सुन्दर।

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