सरीखे ,हम सब भाई - बहन ,
माँ - पापा के प्यार - दुलार भरे ,
अनुशासन की पावन चाशनी में ,
बँधे - गुँथे मोतीचूर लड्डू जैसे !
शुभ शगुन बढ़ाते साथ हो लिए ,
हमारे हमराही जीवनसाथी बन !
इस मिठास पर चांदी के वर्क सा ,
सजते हमारे चंचल बाल - गोपाल !
दूर आसमान के चंदोवे से ताक - झाँक,
पुलकित हुए होंगे माँ , पापा और भाभी-माँ !!!
-निवेदिता
Rishton ki mithas liye marmsparshi bhav...
जवाब देंहटाएंचासनी में डूबी हुयी एक मीठी रसीली प्रस्तुति. आभार !
जवाब देंहटाएंprem,ras ki sunder rachna
जवाब देंहटाएंबहुत मीठा लगा यह रिश्तों का लड्डू :):)
जवाब देंहटाएंकितनी सुन्दर उपमाएं !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर है सभी बुँदे....
जवाब देंहटाएंrishton ki mithaas
जवाब देंहटाएंबेहतरीन.
जवाब देंहटाएंसादर
पूरी जीवन रेखा सुंदर बन पड़ी है
जवाब देंहटाएंआपकी कविता पढकर हम भी पुलकित हो गये। बधाई।
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आपकी एक पोस्ट की हलचल आज यहाँ भी है
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना पढ़वाने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंचासनी की मकह आ रशी है इस रचना में ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंवाह कितना सुन्दर लिखा है आपने बहुत खूबसूरत.......
जवाब देंहटाएंअस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
जवाब देंहटाएंआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,