शुक्रवार, 19 सितंबर 2025

जीवन घट अबूझ पिया ...

 जीवन घट अबूझ पिया 

बाट तके बिरही मनवा।

राह निहारे बिरहन जिया

पतझड़ जीवन बिन पिया रे!


अगम अबूझ ढुलक चली है

शुष्क नयनों की प्यास छली है।

अम्बर ओढ़े बदली का आँचल

बैरी चुनरिया झीनी बड़ी है!


कान्हा सा मन छलिया बड़ा है

तुम संग चलने व्याकुल खड़ा है।

घुंघरू सा मन रास रचाये

महारास को मन मलंग ये गाये!

✍️ #निवेदिता_श्रीवास्तव_निवी 

      #लखनऊ

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