गुरुवार, 19 अक्तूबर 2023

सुखमय हो संसार : गीतिका

उपवन जनक का, बरसे सुमन फुहार।।

राम सिया का स्वयंवर, आये देव हजार।।


जनकसुता सी हो वधू, वर भी हो रघुनाथ।

सहज सरल सुखमय रहें, करे मंगलाचार।।


चर्चा सुन रघुनाथ की, सिया गईं सकुचाय।

वरणन रघुवर का करें, ऋषि करते जयकार।।


राम सिया साथी बने, पहनाई जयमाल।

कोमल साक्षी कमल हो, प्रकृति करे उपकार।।


मातु पिता आशीष दें, कीरति मिले अपार।

दोनों कुल फलते रहें, सुखमय हो संसार।।

#निवेदिता_श्रीवास्तव_निवी 

#लखनऊ

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