रविवार, 19 फ़रवरी 2023

लघुकथा : ध्वज

 लघुकथा : ध्वज 

अन्विता ," माँ हम सैनिकों के ऊपर हम अपने राष्ट्रीय ध्वज को क्यों ओढ़ाते हैं । ऐसे तो ध्वज सबका हाथ लग कर गन्दा हो जाएगा । और आप तो कहती हैं कि ध्वज को हमेशा ऊँचा रखना चाहिये ,ऐसे तो वो नीचा हो गया न।"


 माँ ,"नहीं बेटा सैनिकों को ओढ़ाने से ध्वज गन्दा नहीं होता ,बल्कि उसकी चमक और सैनिकों की शान दोनों ही बढ़ जाती है । हमारा ध्वज सैनिकों का मनोबल ,उनके जीवन का उद्देश्य होता है । जब तक वो जीवित रहते हैं ऊँचाई पर लहराते ध्वज को और भी समुन्नत ऊँचाई पर ले जाने को प्रयासरत रहते हैं । परंतु जब उनका शरीर शांत होता है तब यही ध्वज माँ के आंचल सा उनको अपने में समेट कर दुलराता है।"  

निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

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