न हो उदास ऐ सनम तेरी उदासी में मेरे मन में बसी खामोश ओस ढलती है तेरे लबों की हल्की सी थिरकन मेरी यादों की घनी धुंध में सूर्य किरण सी दमकती है ...... निवेदिता
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (29-01-2017) को "लोग लावारिस हो रहे हैं" (चर्चा अंक-2586) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Very cute :)
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप को ६८ वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "ब्लॉग बुलेटिन की ओर से ६८ वें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
!!!!
जवाब देंहटाएंलबों की थिरकन बनी रहे ... जीवन यूँ ही चलता रहे ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंप्यारे पल यूँ ही बने रहे ..सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (29-01-2017) को "लोग लावारिस हो रहे हैं" (चर्चा अंक-2586) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Excellent post
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