कभी कभी ये हँसी उमगती है किलकती है बस एक झीनी सी ओट दे जाने को और आँसुओं को ख़ुशी के जतलाने को और हाँ ये आँसू भी तो बेसबब नही इनसे ही तो बढ़ जाता नमक जिंदगी में ...... निवेदिता
पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपने लिखा... कुछ लोगों ने ही पढ़ा... हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें... इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 12/04/2016 को पांच लिंकों का आनंद के अंक 270 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंBadhiya ...
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (11-04-2016) को
जवाब देंहटाएंMonday, April 11, 2016
"मयंक की पुस्तकों का विमोचन-खटीमा में हुआ राष्ट्रीय दोहाकारों का समागम और सम्मान" "चर्चा अंक 2309"
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार !!!
हटाएंआपने लिखा...
जवाब देंहटाएंकुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 12/04/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
अंक 270 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।
आभार !!!
हटाएंअच्छी कविता , सच है आशुओं से नमक बढ़ता है ज़िंदगी मे
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " एक निवेदन - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआभार !!!
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