बुधवार, 6 मई 2015

दुआओं का सिलसिला ......


टूटते सितारे को देख

दुआ में निगाहें उठी 

कुछ चाहते भी थमी ,

नन्ही सी स्मित

पुरवाई सी लहरायी ,

रौशन हुई निगाहें

इक आस सी जगी 

टूटते सितारे में भी 

दुआ तलाशती इन 

दुआओं का सिलसिला 

अशेष हो ......... निवेदिता

4 टिप्‍पणियां:

  1. दुआएं हर जगह पहुँचती रहें, हर उस जगह जहां इसकी ज़रूरत हो... :)

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  2. अच्छा कविता के लिए धन्यवाद।
    .
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  3. उसी शून्य में तो सब व्याप है दी ..कुछ तुम्हारा कुछ मेरा मिलकर सब हमारा हो जाता है बहकर ।

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