बहुत सुन्दर प्रस्तुति। -- आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (14-09-2014) को "मास सितम्बर-हिन्दी भाषा की याद" (चर्चा मंच 1736) पर भी होगी। -- चर्चा मंच के सभी पाठकों को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
behtareen panktiyaan
जवाब देंहटाएंअपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको या फिर सिरहाना हो जो तेरी बाहों का अंगारों पे सो जाऊँ मैं...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना!
मर्मस्पर्शी अभिलाषा .... सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (14-09-2014) को "मास सितम्बर-हिन्दी भाषा की याद" (चर्चा मंच 1736) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हिन्दी दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
भावनाओं का सुन्दर संगम ....
जवाब देंहटाएंबस सिरहाना मिल जाये ...तुम्हारी हाथों की लकीरों का .... बहुत सुन्दर लिखा , वाह !
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