खामोशियों से सराबोर ये शाम
दबी सी आहटों के शब्द तलाशती
डूबते सूरज की रौशन रौशनी को
कतरा दर कतरा अपने दामन में
चाँद - तारों सा टाँक सजा लिया
थके से कदमों में आ गयी
एक नयी उमंग की चमक
खिलखिलाहट में दिख गयी है
शायद अपने घर की पहचान
सुबह ने शायद अपनी पलकें खोल
उदासी की बिखरी किरचें समेट लीं
मासूम से कन्धों ने थाम लिया है
इन्द्रधनुषी सपनों की सौगात ……… निवेदिता
बहुत सुंदर शब्द ! मंगलकामनाएं आपको
जवाब देंहटाएंवाह ... सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंअरे वाह... बहुत प्यारी कविता है. ताज़गी से भरपूर...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर,,,,,
जवाब देंहटाएंसस्नेह
अनु
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शनिवार 23 अगस्त 2014 को लिंक की जाएगी........
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
आभार !!!
हटाएंअति सुन्दर!
जवाब देंहटाएंइन्द्रधनुषी सपनों की सौगात .... अनुपम भाव
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंइंद्रधनुषी सपनो की सौगात,,,,सुंदर कवित,भावपुर्ण...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
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जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और भावुक रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर ----
आग्रह है
हम बेमतलब क्यों डर रहें हैं ----
बहुत सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है...!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया।।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत पेण्टिंग!!
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब
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