जीवन अपना
एक आइसक्रीम जैसा
इसको तो पिघलना है
चाहे इसके छोटे टुकड़े कर के
मुँह में रख लें ,या फिर
हाथ में थाम कर देखते रहें
और व्यर्थ जाने दें ...…
ये जो छोटे - छोटे से पल हैं
जी चाहे तो जी लो
जी न चाहे तो बीत जाने दो
पर पिघली हुई आइसक्रीम
पिघल कर याद बहुत आती है ..... निवेदिता
सच है ...एक एक पल अनमोल है .... जी लें
जवाब देंहटाएंक्या बात है .... जी चाहे तो जी लें
जवाब देंहटाएंजी न चाहे तो बीत जाने दें
पिघलकर बहने न दिया जाय....
जवाब देंहटाएंlick it fast :-)
anu
आपकी इस पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि बुलेटिन पूँजी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंआभार !!!
हटाएंउम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@दर्द दिलों के
नयी पोस्ट@बड़ी दूर से आये हैं
सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंबस ऐसे पल ही असल जीवन हैं ... जीने के लिए ...
जवाब देंहटाएंयादें जोड़ने के लिए इनका होना जरूरी है ...
जवाब देंहटाएंकल 04/जुलाई /2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
आभार !!!
हटाएंसुंदर.....
जवाब देंहटाएंसच है ---जीवन को आइसक्रीम जैसा ही पिघलना है.आइसक्रीम की तरह ही जीवन कब पिघल जाता है पताही नही चलता !
जवाब देंहटाएंसच आइसक्रीम सा पिघल जाना है इस जिंदगी को एक दिन ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया चिंतन
बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...आपके ब्लॉग पर आना बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंउम्दा..
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