मंगलवार, 29 अक्तूबर 2013

ख़्वाब .....






ख़्वाब ....
कभी मुंदी
और कभी खुली
पलकों से भी
सांस - सांस जिए जाते हैं

ख़्वाब .....
कभी साँसों में
और कभी
दिलों में भी
सहज ही पलते पनपते हैं

ख़्वाब .....
फ़क़त यूँ ही
देखते ही नहीं
धडकनों में भी
सुने और सहेजे जाते हैं

ख़्वाब .....
हरदम सिर्फ
ख़्वाब ही नहीं होते
ज़िन्दगी की
रेशा - रेशा हक़ीकत भी होते हैं
                           - निवेदिता 

9 टिप्‍पणियां:

  1. ख़्वाब .....
    हरदम सिर्फ
    ख़्वाब ही नहीं होते
    ज़िन्दगी की
    रेशा - रेशा हक़ीकत भी होते हैं....niveditaji sunder rachna...........

    जवाब देंहटाएं
  2. ख़्वाब .....
    हरदम सिर्फ
    ख़्वाब ही नहीं होते
    ज़िन्दगी की
    रेशा - रेशा हक़ीकत भी होते हैं....niveditaji sunder rachna...........

    जवाब देंहटाएं
  3. ख्वाब कभी हकीकत बन जाते हैं और कभी कोई हकीकत ख़्वाबों में देखते हैं हम....
    बहुत सुन्दर!!

    सस्नेह
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  4. ख़्वाब .....
    हरदम सिर्फ
    ख़्वाब ही नहीं होते
    ज़िन्दगी की
    रेशा - रेशा हक़ीकत भी होते हैं.......................सच कहा आपने

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी इस उम्दा रचना को http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ के शुक्रवारीय अंक १/११/१३ में शामिल किया गया हैं , आपका स्वागत हैं कृपया अवलोकन हेतु पधारे

    जवाब देंहटाएं
  6. ख्वाब क्या क्या नहीं होते .. ये जीवन भी बन जाते हैं .. भावमय ...
    दीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...

    जवाब देंहटाएं