शुक्रवार, 17 मई 2013

तुम्हारी परछाईं ....


सब आजमाते है
जैसे मैं ही हूँ
तुम्हारी परछाईं
सच कहूँ
नहीं बनना मुझे
तुम्हारी परछाईं

कभी कहीं आ गयी 
ज़िन्दगी में तपिश
तुमसे दूर कभी
जा भी न पाऊँगी
अंधियारे पलों में
हाथ कैसे छुडाउंगी !

हाँ !
बना सको तो
बना लो
मद्धिम सी
साँसे अपनी
दोनों साथ ही
चल कर थमेंगे !

बसा सकते हो
बसा लो बस
रूह में अपनी
क्यों ?
अरे जानते नहीं
रूहें साथ रहती हैं
जन्मों तक .......
                    - निवेदिता

27 टिप्‍पणियां:

  1. सच्चे प्रेम की आकांक्षा ....गहन और बहुत सुन्दर उदगार ह्रदय के ....!!

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  2. आदि से अनन्त जुड़ने का भाव हो तो छोटी मोटी बातें आयी गयी हो जाती हैं। बहुत सुन्दर कविता।

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन एक रोटी की कहानी - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. बहुत खूबसूरत ,हमेशा साथ होने की ख्वाहिश ....सुंदर एहसास ...
    उतनी ही सुंदर रचना .....


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  5. रूह का रिश्ता उम्र के पार होता है !
    बहुत बढ़िया !

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  6. आपने लिखा....हमने पढ़ा
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए कल 19/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    धन्यवाद!

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  7. बहुत सुन्दर कोमल अहसास...

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  8. मन को भा गई आपकी कोमल अनुभूतियों वाली कविता

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  9. बहुत सुन्दर....
    रूह तक उतरते भाव......

    सस्नेह
    अनु

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  10. बहुत खूबसूरत सुंदर एहसास

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  11. बहुत खूबसूरत एहसास!
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest postअनुभूति : विविधा
    latest post वटवृक्ष

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  12. रूह का रिश्ता जन्म-जन्मांतर तक रहता है ...
    गहरा एहसास लिए ....

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  13. हाँ !
    बना सको तो
    बना लो
    मद्धिम सी
    साँसे अपनी
    दोनों साथ ही
    चल कर थमेंगे !


    मन को स्पर्श करती भावपूर्ण रचना
    बहुत सुंदर
    बधाई


    आग्रह है मेरे ब्लॉग"उम्मीद तो हरी है' में सम्मलित हों
    http://jyoti-khare.blogspot.in

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  14. Lovely :)
    antim pankti par ek sher yaad aa raha hai...kuch aise tha..
    "Tum mujhe roooh mein hi basa lo faraaz
    dil-o-jaan ke rishte aksar toot jaaya karte hain"

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  15. बसा सकते हो
    बसा लो बस
    रूह में अपनी
    क्यों ?
    अरे जानते नहीं
    रूहें साथ रहती हैं
    जन्मों तक .......
    रिश्तों को अहसास कराती मोहक रचना.

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  16. बेहतरीन अभिव्यकि...
    मंगल कामनाएं आप दोनों को !

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  17. सदा साथ रहने की अभिलाषा .....प्रेम की परिकाष्ठा ही तो है ...
    बहुत सुंदर रचना

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  18. कुछ शब्द तो बस महसूस होते हैं न...

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